अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे कई शुभ

आज यानी 7 दिसंबर को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।

तिथि: कृष्ण तृतीया
मास पूर्णिमांत: पौष
दिन: रविवार
संवत्: 2082
तिथि: तृतीया – सायं 06 बजकर 24 मिनट तक, फिर चतुर्थी
योग: शुक्ल – सायं 08 बजकर 07 मिनट तक
कणवणिज – प्रात: 07 बजकर 50 मिनट तक
करण: विष्टि – सायं 06 बजकर 24 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 07 बजकर 01 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 24 मिनट पर
चंद्रोदय: सायं 07 ब्जक्र 55 मिनट पर
चंद्रास्त: प्रात: 09 बजकर 33 मिनट पर
सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: मिथुन

आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
अमृत काल: 8 दिसंबर को प्रात: 01 बजकर 59 मिनट से प्रात: 03 बजकर 27 मिनट तक

आज के अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 04 बजकर 06 मिनट से सायं 05 बजकर 24 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 02 बजकर 48 मिनट से दोपहर 04 बजकर 06 मिनट तक
यमगण्ड: दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक

आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पुनर्वसु नक्षत्र में रहेंगे।
पुनर्वसु नक्षत्र: 8 दिसंबर को प्रात: 04 बजकर 11 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: ज्ञानवान, आशावादी, आत्मविश्वासी, आकर्षक, आध्यात्मिक, धार्मिक, संवाद में कुशल, बुद्धिमान, संतुलित, कल्पनाशील, दयालु और करुणामयी।
नक्षत्र स्वामी: बृहस्पति देव
राशि स्वामी: बुध देव और चंद्र देव
देवी: अदिति
प्रतीक: धनुष और तरकश

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
अखुरथ संकष्टी भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष व्रत है, जो प्रत्येक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह व्रत खासतौर पर कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा और विधिपूर्वक व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और बुद्धि में वृद्धि होती है।
संकष्टी व्रत का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे पूर्णिमा से पहले रखने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भक्त इस दिन निर्जला उपवास या फलाहार रखकर गणेशजी की आराधना करते हैं और उनकी विशेष स्तुति और मंत्र जपते हैं। अखुराठा संकष्टी का पालन करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है, साथ ही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।

चतुर्थी तिथि
प्रारंभ: 07 दिसंबर 2025 को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर
समाप्ति: 08 दिसंबर 2025 को दोपहर 04 बजकर 03 मिनट पर

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
स्नान और शुद्धि: सुबह या संकष्टी व्रत के दिन पवित्र स्नान करें।
स्थल सजाना: गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
धूप-दीप और पुष्प: दीपक जलाएं, धूप करें और लाल पुष्प अर्पित करें।
फलों और मिठाई का भोग: केले, मोदक, लड्डू आदि का भोग लगाएं।
मंत्र जप: “ॐ गं गणपतये नमः” का 108 बार जप करें।
कथा या स्तुति: संकष्टी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
उपवास: निर्जला या फलाहार व्रत करें।
प्रसाद वितरण: भोग चढ़ाकर उसे परिवार और जरूरतमंदों में वितरित करें।
ध्यान और प्रार्थना: व्रत के अंत में भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और बाधा निवारण की प्रार्थना करें।

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