क्या वेलिंगटन हार से सीख लेकर ऑकलैंड में वापसी कर पाएंगे रोहित शर्मा?
चार दिन पहले ही वेलिंगटन में टीम इंडिया ने बेहतरीन जुझारू खेल दिखाते हुए न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के आखिरी वनडे में शानदार जीत हासिल की थी. इस मैच में पहले 10 ओवर में 18 रन पर 4 विकेट गंवाने के बाद टीम इंडिया ने पहले न्यूजीलैंड को 252 रनों का लक्ष्य दिया. इसके बाद मेजबान टीम को 217 रनों पर समेट भी दिया. इसी मैदान पर बुधवार को जैसे समय ने पलटी खाई और टीम इंडिया की पहले टी20 में इतनी बुरी गत हुई कि उसे टी20 इतिहास की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा. अब सबके सामने, खासतौर पर भारतीय फैंस के मन में, यही सवाल है कि क्या रोहित अगले टी20 में वापसी कर पाएंगे.
इस मैच से वनडे में भारत के हाथों करारी हार खाने के बाद मेजबान न्यूजीलैंड ने टी-20 सीरीज की शुरुआत बड़ी जीत के साथ की है. न्यूजीलैंड ने बुधवार को वेस्टपैक स्टेडियम में खेले गए पहले टी-20 मैच में भारत को 80 रनों से करारी शिकस्त दी. इसी के साथ न्यूजीलैंड ने तीन मैचों की टी-20 सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली है. वहीं टीम इंडिया को हार का विश्लेषण करने के बाद नए जोश से वापसी करने की कोशिश करनी होगी.
नजरिए ने पैदा किया बड़ा अंतर
टीम इंडिया के सामने सबसे पहला सवाल यही है कि आखिर तीन दिन में इतना बड़ा क्या हो गया जो टीम की हालत इतनी दयनीय हो गई. इसकी सबसे बड़ी वजह है नजरिए में बदलाव ही है. न्यूजीलैंड इस मैच में काफी तैयारी और सकारात्मकता के साथ उतरी थी. जबकि साफ लग रहा था कि टीम इंडिया की कोई योजना ही नहीं है. जहां न्यूजीलैंड के बल्लेबाज आसानी से भारतीय गेंदबाजों को धुन रहे थे. वहीं भारतीय बल्लेबाजों को खासी दिक्कतें आईं. दोनों टीमों की गेंदबाजी में यह अंतर यूं ही नहीं आ गया. मनोबल का भी अंतर बड़ा होता गया. रोहित के सामने यही चुनौती होगी कि वे मनोबल को कैसे दोबारा खड़ा कर विपरीत परिस्थिति में भी उसे कैसे बनाए रखते हुए खेलें.
दबाव न दिखे बल्लेबाजों पर
इस मैच में टीम इंडिया की बल्लेबाजी के लिए सबसे बड़ा सबक यही है कि वह दबाव में न आए. रोहित सहित, धोनी को छोड़कर, पूरी टीम ही रन बनाने की जल्दी में दिखी. हां, शिखर धवन ने जरूर कुछ अच्छा इंटेंट यानि इरादा जताया, लेकिन वे भी एक शानदार गेंद को ठीक से पढ़ नहीं सके. इसके बाद तो विजय शंकर, ऋषभ पंत, पांड्या बंधु, दिनेश कार्तिक की बेचैनी को पढ़ने में विलियम्स के गेंदबाजों को पढ़ने में कोई परेशानी नहीं हुई और उन्होंने हालात भांपते हुए खुद को बखूबी ढालते हुए. भारतीय पारी 139 रनों पर ही समेट दी.
इतना बुरा हाल भी नहीं है टीम का
दबाव का प्रभाव सबसे ज्यादा दिनेश कार्तिक पर दिखा जिसके बावजूद उन्होंने एक बेहतरीन कैच पकड़ा जिसकी तारीफ की जानी चाहिए. रन बनाने की बेकरारी होना बुरा नहीं है, लेकिन उसका फायदा विरोधी गेंदबाज उठा जांए, यह जरूर चिंता की बात होनी चाहिए. वहीं ऋषभ पंत किसी दबाव में बल्लेबाजी करने आए थे यह सोचने वाली बात जरूर है. विजय शंकर का इंटेंट ठीक था लेकिन अगर उन्हें सही मार्गदर्शन मिले तो वे बहुत ही ज्यादा मारक हो सकते हैं. हार्दिक के साथ भी अब यही बात हो रही है कि वे विरोधी टीम के द्वारा अब पढ़े जा सकते हैं. हालांकि वे इससे उबरने की क्षमता भी रखते हैं इसीलिए उन्हें खतरनाक भी माना जाता है.
धोनी की धोनी ही जानें
एमएस धोनी अब काफी प्रिडिक्टेबल होते जा रहे हैं, यानि कि पिछले एक दो सालों से उन्हें बल्लेबाजी करने वाले दर्शक भी यह बता सकता कि वे शुरुआती गेंद कैसे खेलेंगे. एक समय था जब धोनी विरोधी गेंदबाजों के लिए पहली ही गेंद से खौफ हुआ करते थे. अब धोनी के बारे में ऐसा विश्वास से के साथ नहीं कहा जा सकता. इन सबके बावजूद आज भी अनुभवी कप्तान और गेंदबाजी धोनी की अनिश्चितता से वाकिफ हैं जिसकी झलक अब भी दिखती तो है लेकिन कम होती जा रही है. धोनी की 39 रनों की पारी एक बार फिर से यह इशारा है कि टीम इंडिया में धोनी का मुकाम इतना अलग और खास क्यों है. धोनी जब बल्लेबाजी करने आए तब तक मैच काफी हद तक भारत के हाथों से निकल चुका था. लेकिन धोनी को ऐसे ही मौकों के लिए ‘अनहोनी को होनी’ करने वाला धोनी कहा जाता है.
वापसी क्यों नहीं?
क्या रोहित ने सब कुछ गंवा दिया है. जाहिर है नहीं. बल्कि यह कहना सबसे ज्यादा मुफीद होगा कि क्यों नहीं. रोहित के लिए अहम यह है कि ऐसा क्यों नहीं है. यहां से रोहित ऑकलैंड में वापसी की राह तलाश सकते हैं. अगर वेलिंगटन में न्यूजीलैंड वापसी कर सकती है तो ये तो हमारे हिटमैन रोहित शर्मा की टीम इंडिया है जिसने कई मौकों पर सभी को चौंका दिया है.