पश्चिम बंगाल में डाक्टरों का गुस्से का असर हरियाणा में भी, डॉक्टरों ने आज कर दी हड़ताल….
पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों का गुस्सा हरियाणा भी पहुंच गया है। हरियाणा के सरकारी और निजी डॉक्टर आज हड़ताल पर हैं। इससे राज्य में चिकित्सा सेवा बुरी तरह बाधित हुई है। ओपीडी के साथ-साथ इमरजेंसी चिकित्सा सेवा भी बंद होने से मरीजों का बुरा हाल हो गया।
हरियाणा सरकार द्वारा डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ के अवकाश रद करने के बावजूद राज्य के चिकित्सकों ने सोमवार को हड़ताल पर रहने का निर्णय लिया। हालांकि डाक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं जारी रखने का ऐलान किया है, लेकिन हड़ताल के कारण अधिकतर जगहों पर ये सेवाओं भी प्रभावित हैं।
राज्य के सरकारी और प्राइवेट चिकित्सक देख रहे मरीजों को, लोगों की हालत बुरी
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. जसबीर परमार और महासचिव डा. राजेश श्योकंद ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र भेजकर 17 जून को ओपीडी बंद रहने की सूचनादी थी। राज्य के डाक्टरों ने शनिवार और रविवार को काली पट्टी बांधकर काम किया।
फतेहाबाद के एक अस्पताल में परेशान मरीज।
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस हड़ताल पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। छोटी हड़तालें तो पहले भी होती रही हैं, लेकिन डाक्टरों की ऐसी देशव्यापी हड़ताल पहली बार देखने में आई है। पश्चिमी बंगाल के सैकड़ों सरकारी डाक्टर अपने पदों से इस्तीफे दे चुके हैं। हरियाणा के प्राइवेट चिकित्सकों भी हड़ताल में शामिल हैं।
हरियाणा में फतेहाबाद, सिरसा, हिसार सहित अधिकतर स्थानों पर अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं। इससे मरीज भटकने को मजबूर हैं। सबसे अधिक दिक्कत गंभीर मरीजों को हो रही है। फतेहाबाद सहित कई स्थानों पर लोगों ने हड़ताल के खिलाफ अस्पतालों में प्रदर्शन भी किया है।
फतेहाबाद के सिविल अस्पताल में बंद ओपीडी काउंटर।
बता दें कि 10 जून को एक कनिष्ठ डाक्टर की कोलकाता में कुछ लोगों ने इसलिए पिटाई कर दी कि एक 75 साल के व्यक्ति की हृदयाघात से मौत हो गई थी। मृत व्यक्ति जाति विशेष का था और उसके रिश्तेदारों ने डाक्टर परिभा मुखर्जी पर लापरवाही और गलत इलाज का आरोप लगाते हुए जानलेवा हमला कर दिया। इस सारे मामले को सांप्रदायिक और राजनीतिक रंग मिलते देर नहीं लगी। न केवल पश्चिमी बंगाल बल्कि पूरे देश में डाक्टरों की यह हड़ताल तूल पकड़ रही है। काफी मरीज अब तक मौत के मुंह में समा चुके हैं तथा हजारों इलाज के अभाव में अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे हैं।