क्या ‘ॐ’ और ‘गायत्री मंत्र’ जपने से सच में दूर होता है तनाव?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर दूसरा व्यक्ति तनाव और चिंता से जूझ रहा है। जहां एक तरफ लोग दवाइयों और थेरेपी का सहारा लेते हैं, वहीं हमारा प्राचीन अध्यात्म कहता है कि इसका सबसे सरल और प्रभावी समाधान हमारे अपने शब्दों और आवाज़ में छिपा है।
‘ओम’ (OM) और ‘गायत्री मंत्र’ केवल धार्मिक शब्द नहीं हैं, बल्कि ये गहरी आध्यात्मिक तरंगें हैं जो सीधे हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर प्रभाव डालती हैं। आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करता है:
‘ओम’ (AUM) का जप: ब्रह्मांड की पहली ध्वनि
अध्यात्म के अनुसार ‘ओम’ ब्रह्मांड की आधार ध्वनि है। जब हम ‘ओम’ का उच्चारण करते हैं, तो यह तीन ध्वनियों से मिलकर बनता है: अ, उ और म।
कंपन का जादू: ‘ओम’ का जाप करने से हमारे सीने, गले और सिर में एक विशेष प्रकार का कंपन (Vibration) पैदा होता है। यह कंपन हमारे ‘वेगस नर्व’ (Vagus Nerve) को सक्रिय करता है, जो तनाव को कम करने और हृदय गति को सामान्य रखने के लिए जिम्मेदार है।
वर्तमान में वापसी: जब आप गहरी सांस लेकर ‘ओम’ कहते हैं, तो आपका दिमाग फालतू की सोच छोड़कर ध्वनि पर केंद्रित हो जाता है, जिससे तुरंत शांति महसूस होती है।
गायत्री मंत्र: बुद्धि और प्रकाश का स्रोत
“ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥”
अध्यात्म कहता है कि गायत्री मंत्र सूर्य की ऊर्जा का आह्वान है। इसका सीधा संबंध हमारी बुद्धि और विवेक से है।
नकारात्मकता का नाश: इस मंत्र के 24 अक्षर शरीर के 24 अलग-अलग केंद्रों (ग्रंथियों) को सक्रिय करते हैं। इसका नियमित जप करने से मन में चल रहे नकारात्मक विचारों का शोर कम होने लगता है।
आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, जिससे कठिन परिस्थितियों में भी तनाव हावी नहीं होता।
क्या कहता है विज्ञान?
अध्यात्म के साथ-साथ कई वैज्ञानिक शोधों में भी पाया गया है कि मंत्रों के जप से शरीर में कोर्टिसोल (Stress Hormone) का स्तर कम होता है और सेरोटोनिन (Happy Hormone) बढ़ता है। इससे नींद अच्छी आती है और एकाग्रता (Concentration) बढ़ती है।
कैसे करें शुरुआत? (Tips for Beginners)
शांत जगह चुनें: सुबह या शाम के समय किसी शांत जगह पर बैठें।
सुखासन में बैठें: अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और आंखें बंद कर लें।
सांसों पर ध्यान: जप शुरू करने से पहले 5 बार लंबी गहरी सांस लें।
नियमितता: इसे केवल 5 से 10 मिनट रोज करें, लेकिन पूरी श्रद्धा के साथ करें।
तनाव तब होता है जब हमारा मन भविष्य की चिंता या अतीत के पछतावे में फंसा रहता है। ओम और गायत्री मंत्र हमें ‘वर्तमान’ में लाते हैं। अध्यात्म के अनुसार, यह केवल शब्दों का दोहराव नहीं है, बल्कि यह आपकी आत्मा की सफाई करने की प्रक्रिया है।



