गमले में पर्यावरण : हवाओं से जहर सोखने के लिए याद आया प्राकृतिक उपचार
इंडोर पौधे घरों के भीतर वायु प्रदूषण के खिलाफ पहरेदार की भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, प्राण वायु देने का काम कर रहे हैं।
राजधानी में खतरनाक प्रदूषण ने प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर यानी इंडोर पौधों की लोगों को याद दिला दी है। इससे लोगों में साफ हवा में सांस लेने की आस बढ़ी है। दमघोंटू हवा के बीच लोग ऐसे पौधे खरीद रहे हैं जिनको घरों के अंदर रखने से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
यह पौधे हवा में मौजूद जहरीले तत्वों को सोख लेते हैं। इससे घर के अंदर की हवा साफ रहती है। बढ़ते प्रदूषण ने सांसों पर संकट बढ़ा दिया है। प्रदूषित हवा में बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी लोगों की सांसें फूल गई हैं। ऐसे में इंडोर पौधे घरों के भीतर वायु प्रदूषण के खिलाफ पहरेदार की भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, प्राण वायु देने का काम कर रहे हैं।
इनमें स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट, यूकेलिप्टस, लेडी पाम, एरिका पाम समेत कई पौधे शामिल हैं। इन पौधों की नर्सरी में मांग बढ़ गई है। ये पौधे हवा से हानिकारक गैसों और धूल कणों को अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। सबसे अधिक मांग स्नेक और स्पाइडर प्लांट की है। स्नेक प्लांट तो 24 घंटे कार्बन डाई ऑक्साइड सोखता है और बदले में ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है। बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच विशेषज्ञों ने लोगों को बाहर निकलने से बचने और वायु प्रदूषण से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
आसानी से उगाए जा सकते हैं पौधे
घर पर लगाए जाने वाले ये इंडोर पौधे आसानी से उगाए जा सकते हैं। साथ ही ऑक्सीजन के बेहतर स्रोत होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनमें मौजूद औषधीय गुणों से सेहत भी बेहतर रहती है और घर हवा का स्तर भी शुद्ध रहता है। ये पौधे जहरीले पदार्थों को नष्ट करके हवा की शुद्धिकरण का काम करते हैं। हफ्ते में दो बार पानी देने और 15 दिन में एक बार पौधे की सफाई करनी होती है।
मांग बढ़ते ही दोगुनी हुई कीमत
पिछले 15 दिनों के दौरान इन पौधों की मांग बढ़ने से इनकी कीमत भी बढ़ गई है। खासतौर पर थोड़े बड़े पौधों के लिए लोगों को दोगुनी कीमत तक चुकानी पड़ रही है। मयूर विहार फेज-एक में नर्सरी संचालक महमूद खान कहते हैं कि कुछ ही दिनों में इन पौधों की 20 से 25 फीसदी मांग बढ़ी है। वह कहते हैं कि जिस तरह प्रदूषण बढ़ रहा है, ऐसे में इनकी मांग 50 से 60 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि स्नेक प्लांट की कीमत 100 रुपये से शुरु होती है, लेकिन इस वक्त इसका सबसे छोटे पौधे की कीमत 200 रुपये से शुरू है। वहीं, पीस लिली की कीमत 280 रुपये से शुरु है। वहीं, एरिका पाम की कीमत 100 रुपये से लेकर 800 रुपये तक है।
यह खासियत है इन पौधों की
पीस लिली प्लांट- यह पौधा वातावरण से जाइलीन, बेंजीन, अमोनिया, फार्मोल्डिहाइड व ट्रिकलोरोएइथीन को दूर करने में सबसे कारगर है।
एरिका पाम- यह कमरे में मौजूद हानिकारक गैसों को कम करता है। इसकी पत्तियां काफी फैली हुई होती हैं, जिसकी वजह से अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है।
जरबेरा डेजी- पीले रंग के फूलों वाला पौधा घरों के अंदर मौजूद बैंजीन गैस का असर काफी हद तक दूर करता है। कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है। यह रात में अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है।
स्नेक प्लांट- यह पौधा घर के अंदर मौजूद जहरीली गैसों नाइट्रोजन ऑक्साइड और फार्मेल्डिहाइड को सोखता है। इसे सजावट के रूप में भी रखते हैं।
स्पाइडर प्लांट- घर के अंदर लगने वाला यह पौधा दो दिन के भीतर वातावरण में एलर्जी फैलाने वाले तत्वों कोे 90 फीसदी तक दूर करता है। पौधा विशेष रखरखाव नहीं मांगता। वातावरण से बेंजीन, फार्मोल्डिहाइड व कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखकर ऑक्सीजन देता है।
बोगनविलिया- इसे घर के बाहर या बालकनी में लगा सकते हैं। यह पौधा सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रोजन डायऑक्साइड और ओजोन को सोख लेता है।
बैंबू पाम- यह पौधा फार्मेल्डिहाईड जैसी जहरीली गैस को सोख लेता है। इसके साथ ही यह पौधा प्राकृतिक रूप से नमी के अवशोषक के रूप में भी कार्य करता है।