ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर कसी लगाम, फंडिंग रोकी

ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर दबाव बढ़ाते हुए उसे हाइटेंड कैश मॉनिटरिंग में डाला है। अब यूनिवर्सिटी को छात्रों को पहले खुद छात्रवृत्ति देनी होगी और बाद में सरकार से पैसा मांगना होगा।साथ ही अमेरिकी शिक्षा विभाग ने चेतावनी भी दी है कि अगर हार्वर्ड ने नस्ल आधारित दाखिला न देने का प्रमाण नहीं दिया तो और कड़ी कार्रवाई होगी।
ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच चल रहे विवाद के बीच अब एक नया मामला सामने आया है। जहां ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। शुक्रवार को अमेरिका की शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमैहन ने एलान किया कि अब हार्वर्ड को हाइटेंड कैश मॉनिटरिंग के तहत रखा जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब हार्वर्ड को छात्रों की फाइनेंशियल ऐड (छात्रवृत्ति आदि) के पैसे पहले खुद देने होंगे, और फिर सरकार से उसकी भरपाई मांगनी होगी।
इसके अलावा मंत्रालय ने चेतावनी दी कि अगर हार्वर्ड ने अपने एडमिशन (प्रवेश) प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं दी और यह साबित नहीं किया कि अब वह नस्ल के आधार पर दाखिला नहीं दे रहा है, तो उस पर और सख्त कार्रवाई हो सकती है।
मैकमैहन ने आर्थिक स्थिति को लेकर भी जताई चिंता
इस दौरान शिक्षा मंत्री मैकमैहन ने हार्वर्ड की आर्थिक स्थिति को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें हार्वर्ड की आर्थिक स्थिति को लेकर भी चिंता है क्योंकि उस पर सरकार की फंडिंग खतरे में है। बता दें कि हार्वर्ड के पास 53 अरब डॉलर (लगभग 4.3 लाख करोड़ रुपये) का बंदोबस्ती कोष है, जो किसी भी विश्वविद्यालय के मुकाबले सबसे बड़ा है।
समझिए क्या है मामला?
मामले में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि हार्वर्ड जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में लिबरल झुकाव है। साथ ही वह अमेरिका की शिक्षा व्यवस्था को अपने हिसाब से चलाकर प्रभावित कर रहे हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है कि ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ऐसा कोई लगाम लगाया हो या धमकी दी हो, ट्रंप प्रशासन जब से सत्ता में आई, तब से उन विश्वविद्यालयों पर दबाव बनाया जो उनके एजेंडे से सहमत नहीं थे।
हार्वर्ड से काटी गई अरबों की फंडिंग
इससे पहले भी ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड से 2.6 अरब डॉलर (लगभग 21,500 करोड़ रुपये) की रिसर्च फंडिंग भी रोक दी थी क्योंकि विश्वविद्यालय ने सरकार की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था। हार्वर्ड ने इसके खिलाफ अदालत में मुकदमा किया और हाल ही में एक जज ने सरकार को फंडिंग बहाल करने का आदेश दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को 46 मिलियन डॉलर (लगभग 380 करोड़ रुपये) की फंडिंग बहाल की।
हार्वर्ड के नामांकन प्रक्रिया पर उठाए सवाल
अमेरिकी सरकार ने बढ़ते विवाद के बीच हार्वर्ड के दाखिला प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि हार्वर्ड अभी तक यह नहीं दिखा सका है कि वह छात्रों के चयन में नस्ल का इस्तेमाल नहीं कर रहा। गौरतलब है कि 2014 में कुछ छात्रों ने हार्वर्ड के खिलाफ मुकदमा किया था, जिसमें आरोप था कि यूनिवर्सिटी की एडमिशन नीति एशियाई और श्वेत छात्रों के खिलाफ भेदभाव करती है। यह केस 2023 में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अदालत ने फैसला सुनाया कि अब अमेरिका में दाखिले में नस्ल के आधार पर फैसला नहीं लिया जा सकता।