पंजाब में  8-9 दिसंबर को लेकर हो गया बड़ा ऐलान

पंजाब रोडवेज, पनबस-पी.आर.टी.सी. ठेका कर्मचारी यूनियन द्वारा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है, जिसके 28 नवम्बर से प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू होगा और 8 से 10 दिसंबर तक सरकारी बसों का चक्का जाम किया जाएगा। इसी क्रम में वरिष्ठ नेताओं के चंडीगढ़ निवास सहित पंजाब भर में रोष प्रदर्शन किए जाएंगे। मीटिंग के दौरान घोषणा करते हुए पंजाब रोडवेज, पनबस-पी.आर.टी.सी. यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है जिसके चलते अब उन्हें बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किलोमीटर स्कीम की बसें डालने की बात को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यूनियन के प्रदेश प्रधान रेशम सिंह गिल, महासचिव शमशेर सिंह ढिल्लों की अध्यक्षता में हुई मीटिंग के दौरान पदाधिकारियों ने कहा कि 28 दिसंबर को सरकारी बसों का टैंडर खुलते ही पंजाब भर में बसों का चक्का जाम किया जाएगा। वहीं, 2 दिसम्बर को पंजाब भर में रोष प्रदर्शन किए जाएंगे। इसी कड़ी में सरकार की ठेका कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में 8, 9 और 10 दिसम्बर को पूरे पंजाब में सरकारी बसों का चक्का जाम कर चंडीगढ़ में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को पक्का करने की मांगों को स्वीकार तो करती है, लेकिन उसे लागू नहीं करती। इससे ठेका कर्मचारियों को बार-बार संघर्ष के लिए मजबूर किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न मीटिगों के दौरान वरिष्ठ नेताओं ने मांगों का समाधान निकालने का भरोसा दिया था। इसके तहत ठेका कर्मचारियों को पक्का करने के आदेश भी जारी किए गए थे। इसके बावजूद सरकार व अधिकारियों की नीति में अंतर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि यां फिर सरकार इन मांगों का हल निकालना ही नहीं चाहती। अब तक करीब कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन मैनेजमैंट की ओर से ठेकेदार कर्मचारियों को पक्का करने की नीति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सिर्फ बैठकों में समय बर्बाद किया जा रहा है। प्रदेश महासचिव शमशेर सिंह ढिल्लों ने कहा कि सरकार ने सरकारी विभागों का निजीकरण करना शुरू कर दिया है जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रोडवेज और पी.आर.टी.सी. में बसें डालने की बजाय किलोमीटर स्कीम के तहत बसें लगाकर अपने चहेतों को खुश किया जा रहा है। आलम यह है कि किलोमीटर स्कीम की 1 बस एवरेज के मुताबिक 5 साल में करीब 1 करोड़ रुपये ले जाती है, जिससे सरकार को भारी घाटा होता है।

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