राजस्थान बोरवेल हादसा: न पानी न खाना, 5वें दिन भी बोरवेल में चेतना, सुरंग खोदने की तैयारी

तीन साल की चेतना पांच दिन से बोरवेल में है। उसे न तो कुछ खाने को मिला है और न ही कुछ पीने को। कैमरे पर उसकी कोई हलचल भी नजर नहीं आ रही है। अब सुरंग खोदने की तैयारी है, ताकि उस तक पहुंचा जा सके।

राजस्थान के कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी तीन साल की चेतना का आज पांचवा दिन है। बीते दिन से मासूम 120 फीट की गहराई पर एक हुक से लटकी हुई है। 23 दिसंबर को करीब दो बजे बोरवेल में गिरने के बाद से वह भूखी-प्यासी है। कैमरे में उसकी कोई मूवमेंट भी नजर नहीं आ रही है। ऐसे में उसकी कंडीशन क्या इसका कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। अधिकारी भी इसे लेकर कुछ नहीं बोल रहे हैं।

बताया जा रहा है कि चेतना को रेस्क्यू करने के लिए पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पैरलल करीब 170 फीट का गड्ढा खोद लिया गया है। इसमें लोहे के पाइप भी डाल दिए गए हैं। आठ फीट का आखिरी पाइप बचा है, जिसे डाला जा रहा है। इसके बाद रैट माइनर्स की टीम नीचे जाएगी और बोरवेल तक 20 फीट लंबी सुरंग खोदकर चेतना तक पहुंचेगी।

बारिश बनी रेस्क्यू अभियान में बाधा
अचानक बदले मौसम के कारण बारिश शुरू हो गई। इससे रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानी आ रही है। कोटपूतली-बहरोड़ जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने कहा कि हमारी कोशिश जारी है, जल्द से जल्द बच्ची को रेस्क्यू कर लिया जाएगा।

चेतना की मां बेहोशी की हालत में
चेतना के बोरवेल में गिरने के बाद से उसकी मां धोली देवी खाना नहीं खा रही है। इससे वह बेहोशी की हालत में हैं। वह बार-बार अपनी बेटी को बचाने की अपील कर रही है। वहीं, डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी में लगी हुई है।

किस दिन क्या हुआ?
23 दिसंबर: कोटपूतली के किरतपुरा क्षेत्र के बड़ीयाली ढाणी में दोपहर करीब 1:50 बजे तीन साल की बच्ची चेतना बोरवेल में गिरी। करीब 10 मिनट बाद परिजनों को बच्ची के राने की आवाज सुनाई दी, तब उन्हें पता चला कि वह बोरवेल में गिर गई है। तत्काल परिजनों ने प्रशासन को सूचना दी। दोपहर 2:30 बजे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची।

3:20 बजे मेडिकल टीम घटनास्थल पर पहुंची। 3:45 पर पाइप के जरिए बच्ची को ऑक्सीजन पहुंचाई गई। 5:15 पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। रात 8:45 पर देसी जुगाड़ के एक्सपर्ट जगराम अपनी टीम के साथ बच्ची को रेस्क्यू करने पहुंचे। इसी दिन रात तीन बजे तक अंब्रेला और रिंग रॉड से बच्ची को रेस्क्यू करने के दो प्रयास किए गए, लेकिन दोनों की असफर रहे।

24 दिसंबर: सुबह 5:30 बजे से प्रशासन फिर सक्रिय हुआ। अधिकारियों ने परिजनों से चेतना को हुक में फंसा कर बाहर निकलने की अनुमति ली। 9:30 बजे तक बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया। लगातार अफसल होने के बाद प्रशासन ने हरियाणा के गुरुग्राम से पैरलल गड्डा खोदने के लिए पाइलिंग मशीन मंगवाई। रात करीब 11 बजे मशीन मौके पर पहुंची।

25 दिसंबर: 8:00 बजे से पाइलिंग मशीन से गड्ढा खोदने का काम शुरू किया गया। दोपहर एक बजे तक 40 फीट सुरंग करने के बाद पाइलिंग मशीन बंद की गई। शाम पांच पाइलिंग मशीन के साथ 4 फीट मोटा बिट असेंबल किया गया है। 5:30 बजे रेस्क्यू अभियान एक बार फिर से शुरू किया गया। शाम छह बजे 200 फीट क्षमता की एक और पाइलिंग मशीन मौके पर पहुंची। इसे चलाने के लिए गुजरात से एक और टीम भी आई। आठ बजे रेट माइनर की टीम पहुंची। नौ बजे बच्ची की माता घोली देवी की तबीयत बिगड़ी। रात 11 बजे कोटपूतली-बहरोड़ कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंची।

26 दिसंबर: सुबह 10 बजे पत्थर आने के कारण पाइलिंग मशीन को रोका गया। छह घंटे में मशीन से पत्थर को काटा गया। शाम करीब छह बजे गड्ढे की गहराई चेक की गई, इसके बाद पाइलिंग मशीन को हटाया गया। 6:30 बजे से क्रेन से गड्ढे में सेफ्टी पाइप लगाना शुरू किए गए।

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