आकाशगंगा में मिला बेहद दुर्लभ ब्लैक होल, 20 साल पुराने रहस्य के खुलासे से वैज्ञानिक हैरान!
ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है। इन रहस्यों को जानने के लिए सालों से वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इस दौरान वह कई ऐसी खोज करते हैं, जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है। अब इस बीच वैज्ञानिकों ने एक हमारी आकाशगंगा के बीच में एक बेहद दुर्लभ ब्लैक होल की खोज की है। इस ब्लैकहोल को इंटरमीडिएट-मास ब्लैक होल कहा जाता है। आईआरएस 13 नाम का एक तारा समूह के भीतर स्थित है। आकाशगंगा के केंद्र में स्थित सैजिटेरियस ए नामक सुपरमैसिव ब्लैक होल के बेहद पास है।
वैज्ञानिकों को आईआरएस 13 स्टार क्लस्टर ने हैरत में डाल दिया है, क्योंकि सैजिटेरियस ए के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के इतने करीब होने के बाद भी क्लस्टर के विशाल और गर्म तारे एक व्यवस्थित तरीके से चल रहे हैं। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है। इसमें ब्लैकहोल से जुड़ी व्याख्या प्रकाशित की गई है।
शोधकर्ताओं ने क्लस्टर का बेहद बारीकी से अध्ययन किया है। इस अध्ययन से शोधकर्ताओं को पता चला कि क्लस्टर में छिपा एक ब्लैक होल तारों को प्रभावित कर रहा है। जर्मनी में स्थित कोलोन विश्वविद्यालय में खगोलशास्त्री फ्लोरियन पेइस्कर का कहना है कि जब लगभग 20 साल पहले क्लस्टर को पहली बार खोजा गया था, तो लगा था कि इसमें एक बहुत बड़ा तारा है। लेकिन नई हाई-रिजोल्यूशन डेटा से जानकारी सामने आई है कि क्लस्टर के केंद्र में वास्तव में एक इंटरमीडिएट मास वाला ब्लैक होल है।
कितने तरह के ब्लैक होल होते हैं
ब्लैक होल का निर्माण विशाल तारों की मौत से होता है और गैस, धूल, तारों और अन्य ब्लैक होल को खाकर बढ़ते हैं। वर्तमान समय में दो तरह के ब्लैक होल होते हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिक जानते हैं। एक छोटे तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल होते हैं। यह हमारे सूर्य के द्रव्यमान से कुछ गुना अधिक होते हैं, तो वहीं दूसरा सुपरमैसिव ब्लैक होल होते हैं। सुपरमैसिव ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान से लाखों या अरबों गुना अधिक हो सकते हैं।
इंटरमीडिएट मास ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान से 100 से 100000 गुना अधिक बड़े होते हैं, जिनकी खोज बहुत मुश्किल से होती हैं। वैज्ञानिकों को इनके होने से जुड़े सबूत मिले हैं, लेकिन अभी इनकी पुष्टि नहीं हुई है।
कैसे हुई ब्लैक की खोज?
खगोलविदों ने आईआरएस 13 की संरचना की जांच की है। इसकी जांच के लिए उन्होंने वेरी लार्ज टेलीक्सोप और चंद्रा एक्स-रे स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया औ इसका अवलोकन किया। फिर उन्हें स्टार क्लस्टर के गणितीय मॉडल में जोड़ा। तारों की गति क्लस्टर के केंद्र में एक खाली जगह की तरफ इशारा करती है। हालांकि, जब शोधकर्ताओं ने इस जगह को देखा, तो आयनित गैस की रिंग से निकलने वाली एक्स-रे का पता चला। यह ब्लैकहोल की अभिवृद्धि डिस्क का सबूत है। गणना के आधार पर पता चलता है कि यह हमारे सूर्य के द्रव्यमान से 30000 गुना अधिक है।