कब लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण? क्या भारत में दिखाई देगा आग का गोला

खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए दो अक्तूबर का दिन बेहद खास है। दरअसल दो अक्तूबर को साल दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि, यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा, बल्कि एक वलयाकार सूर्य ग्रहण है, जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। इस दौरान आसमान में एक आग का छ्ल्ला नजर आएगा। हमारे सबसे नजदीक का सितारा सूर्य अपने स्थान पर स्थित है और धरती इसकी परिक्रमा करती है।

पृथ्वी की तरह चंद्रमा भी सूर्य का चक्कर लगाता है, लेकिन चांद धरती की भी परिक्रमा करता है। कई बार ऐसा होता है, जब चंद्रमा घूमते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। इससे कुछ समय के लिए सूर्य का प्रकाश को धरती पर नहीं पड़ता है, जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा की परछाई धरती पड़ती है। आइए जानते हैं कि कब और कहां-कहां सूर्य ग्रहण लगेगा…

क्या होता है सूर्य ग्रहण?
जब पूथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो चांद के पीछे सूरज का बिंब कुछ समय के लिए पूरी तरह से ढक जाता है। इस खगोलीय घटना को ही सूर्य ग्रहण लगना कहा जाता है। इस दौरान जिस जगह पर परछाई पड़ती है, वहां पर आसमान में सूर्य का आधा या पूरा हिस्सा ढका नजर आएगा। दो अक्तूबर को वलयाकार सूर्य ग्रहण लेगा। यह एक ऐसा सूर्य ग्रहण है, जिसमें धरती से चांद दूर होता है। इसकी वजह से यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता है। इससे आसमान में आग की रिंग दिखाई देती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं, तो सूर्य ग्रहण लगता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण क्या है?
चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, तो उसकी दूरी भी बदलती है। कभी वह पृथ्वी के नजदीक होता, तो कभी दूर। जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है, तो यह हमें बड़ा नजर आता है। वहीं जब यह धरती से दूर होता है तो छोटा दिखाई देता है। सूर्य ग्रहण के समय अगर चांद पृथ्वी के पास होता है, तो आकार की वजह से पृथ्वी से यह हमें सूर्य को पूरी तरह ढकता दिखाई देता है। लेकिन, जब यह धरती से दूर होता है, तो छोटे आकार की वजह से सूर्य के बीच के हिस्से को ही ढक पाता है। सूर्य का बाकी किनारा नजर आता है, जो आसमान में आग का छल्ला बनाता है।

रिंग ऑफ फायर कई चरणों से गुजरता है। इसके पूरा होने में तीन घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है। लेकिन वास्तविक रिंग ऑफ फायर कुछ सेकंड से लेकर 12 मिनट से ज्यादा समय तक कहीं भी रह सकता है।

कब लगेगा सूर्य ग्रहण?
अप्रैल 2024 में पूर्ण सूर्य ग्रहण की तरह ही वलयाकार ग्रहण भी चरणों में लगेगा। अमेरिका के स्थानीय समय के मुताबिक, 11:42 बजे सुबह आंशिक ग्रहण शुरू होगा, जब चंद्रमा सूर्य के सामने से गुजरेगा। इसके बाद 12 बजकर 50 मिनट पर दोपहर में वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिणी प्रशांत महासागर में शुरू होगा। शाम 4:39 बजे रिंग ऑफ फायर अटलांटिक महासागर में खत्म होगा। शाम में 5:47 बजे दक्षिणी अटलांटिक महासागर में ग्रहण खत्म होगा।

क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण?
साल के दूसरे सूर्य ग्रहण को भी भारत में नहीं दिखा जा सकता है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप और प्रशांत महासागर में नजर आएगा। अर्जेंटीना और चिली के कुछ इलाकों में यह सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है। महाद्वीप के बाकी हिस्सों में यह आंशिक रूप से नजर आएगा।

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