कर्ज देने वाले संस्थानों पर भारतीय रिजर्व बैंक ने चलाया चाबुक

केंद्रीय बैंक ने कहा, सभी आरई कर्ज वितरण के तरीके, ब्याज के आवेदन और अन्य शुल्कों के संबंध में अपनी प्रथाओं की समीक्षा करें। सिस्टम स्तर पर बदलाव करें। ब्याज वसूलने के मुद्दे पर जरूरी सुधारात्मक कार्रवाई करें।

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर कर्ज देने वाले बैंकों के साथ वित्तीय संस्थानों पर चाबुक चलाया है। इसने कहा, जिन संस्थानों ने भी गलत तरीके से अतिरिक्त ब्याज लिया है, वे तुरंत इस पर कार्रवाई करें और इसे लौटा दें। ये संस्थान ब्याज वसूलने में अनुचित तरीकों का सहारा ले रहे हैं। यह पूरी तरह से गलत है।

आरबीआई ने सोमवार को जारी सर्कुलर में कहा, 2003 से विनियमित संस्थाओं (आरई) को समय-समय पर दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं। इनमें कर्ज मूल्य निर्धारण नीति पर निष्पक्षता और पारदर्शिता की बात है। उचित व्यवहार को लेकर स्पष्टता है। 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए आरई की जांच के दौरान आरबीआई को ऋणदाताओं द्वारा ब्याज वसूलने में कुछ अनुचित प्रथाओं के उदाहरण मिले हैं। आरबीआई ने प्रमुख रूप से निष्पक्षता और पारदर्शिता में अनुचित प्रथाओं को लेकर चिंता जताई है।

केंद्रीय बैंक ने कहा, सभी आरई कर्ज वितरण के तरीके, ब्याज के आवेदन और अन्य शुल्कों के संबंध में अपनी प्रथाओं की समीक्षा करें। सिस्टम स्तर पर बदलाव करें। ब्याज वसूलने के मुद्दे पर जरूरी सुधारात्मक कार्रवाई करें। आरबीआई ने कहा, ऑनसाइट जांच के दौरान यह पाया गया कि आरई ने कर्ज मंजूरी की तारीख या कर्ज समझौते की तारीख से ब्याज वसूला है। जबकि ब्याज तबसे वसूलना चाहिए, जब ग्राहक को लोन मिल चुका हो।

ग्राहक को चेक बाद में मिला, ब्याज पहले वसूला
आरबीआई ने कहा, ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां चेक की तारीख से ब्याज वसूला गया। जबकि ग्राहक को चेक कई दिनों बाद दिया गया। कुछ संस्थानों ने जिस महीने में कर्ज दिया, उस महीने का पूरा ब्याज लिया है। कुछ मामलों में संस्थानों ने ग्राहक से एक या कई किस्तें लोन देने के समय ले लिए, लेकिन ब्याज पूरे कर्ज पर लिया है। कुछ मामलों में कर्ज वितरण के लिए जारी किए गए चेक के बदले आरई को ऑनलाइन ट्रांसफर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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