भारत में कई राजनीतिक नेताओं द्वारा पदयात्राएं की गई हैं आइए उनके बारे में जानें..

राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक हुई भारत जोड़ो यात्रा का आज समापन हुआ। राहुल से पहले भी भारत में कई राजनीतिक नेताओं द्वारा पदयात्राएं की गई हैं आइए उनके बारे में जानें ….

 राहुल गांधी की अगुआई वाली भारत जोड़ो यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर 145 दिन के बाद आज सोमवार को समाप्त हो रही है। राहुल ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा की। उन्होंने अपनी यात्रा से भाजपा पर कई बड़े हमले किए। राहुल ने भाजपा पर देश को बांटने और हिंसा फैलाने का भी आरोप लगाया। इस बीच कई राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल की इस यात्रा से उन्हें चुनावी फायदा मिल सकता है। राहुल से पहले हाल के दशकों में भारत में कई राजनीतिक नेताओं द्वारा पदयात्राएं की गई हैं, आइए उनके बारे में जानें ….

1983 में चंद्रशेखर की भारत यात्रा 

लगभग चार दशक पहले, पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन जनता पार्टी के नेता चंद्रशेखर ने भी कन्याकुमारी से एक पदयात्रा शुरू की थी। यहां से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा भी पिछले साल 8 सितंबर को शुरू हुई थी। 6 जनवरी 1983 को शुरू होने के छह महीने बाद उस समय चंद्रशेखर को ‘मैराथन मैन’ जैसा उपनाम मिला। अपने मार्च के दौरान लोगों से जुड़ने के लिए गांव-गांव से गुजरते हुए उनका कद और यात्रा के प्रति आकर्षण बढ़ता गया।हालांकि, इंदिरा गांधी की हत्या जैसी घटना ने 1984 के चुनावों में इसके प्रभाव को कम कर दिया।

1985 में कांग्रेस संदेश यात्रा  

1985 में कांग्रेस संदेश यात्रा की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के पूर्ण सत्र में की थी। प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) और कांग्रेस नेताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ चार यात्राओं के रूप में यात्रा की। यात्रा तीन महीने से अधिक समय के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई।

1990 में लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रथ यात्रा 

अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन को गति देने के लिए रथ यात्रा निकाली गई। सितंबर 1990 में शुरू हुई यात्रा ने 10,000 किमी की दूरी तय की और 30 अक्टूबर को अयोध्या में इसे समाप्त होना था। इसे उत्तर बिहार के समस्तीपुर में रोका गया और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रथ यात्रा ने बीजेपी की चुनावी और वैचारिक पहुंच को बढ़ा दिया। जैसे-जैसे मंदिर की मांग जोर पकड़ती गई, भाजपा को भी चुनावों में फायदा होता गया। 

1990 में कांग्रेस की सद्भावना यात्रा 

इसकी शुरुआत राजीव गांधी ने 19 अक्टूबर, 1990 को की थी। दिलचस्प बात यह है कि 1 नवंबर को राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान प्रतिष्ठित चारमीनार में उसी स्थान पर तिरंगा फहराया था, जहां से राजीव गांधी ने ‘सद्भावना यात्रा’ की शुरुआत की थी। 

1991 में भाजपा की एकता यात्रा

इस यात्रा का नेतृत्व तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने किया था। राष्ट्रीय एकता के लिए भाजपा के समर्थन और अलगाववादी आंदोलनों के विरोध को उजागर करने की मांग की थी। यह दिसंबर में तमिलनाडु के कन्याकुमारी में शुरू हुई थी और इसने 14 राज्यों को कवर किया। आडवाणी की रथ यात्रा के बाद इसने भाजपा को चुनावों में जबरदस्त फायदा दिया। 

यात्रा का समापन 26 जनवरी 1992 को हुआ था। तब जोशी को हवाई मार्ग से श्रीनगर ले जाया गया था और उन्होंने श्रीनगर के लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। एकता यात्रा को 2011 में पार्टी ने दोहराया था। तब घाटी में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए कोलकाता से कश्मीर के लाल चौक तक 14 दिवसीय यात्रा आयोजित की थी।

अप्रैल 2003 में कांग्रेस की यात्रा

कांग्रेस नेता वाई एस राजशेखर रेड्डी ने आंध्र प्रदेश में 1,400 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। उन्होंने चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को हराकर एक साल बाद कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई।

2004 में भाजपा की भारत उदय यात्रा

आडवाणी की भारत उदय यात्रा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में भारत की उपलब्धियों को उजागर किया। हालांकि, इससे अपेक्षित चुनावी लाभ नहीं मिला। लोकसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और यूपीए- I सत्ता में आई।

2017 में जगन मोहन रेड्डी की यात्रा 

अप्रैल 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए वाईएसआरसीपी के प्रमुख वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने 2017 में एक विशाल प्रजा संकल्प यात्रा शुरू की। इसमें राज्य भर में 3,500 किमी से अधिक की दूरी तय की गई। 

2017 में नर्मदा परिक्रमा यात्रा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा तट पर स्थित नरसिंहपुर जिले के बर्मन घाट से नर्मदा परिक्रमा की। हालांकि, सिंह ने कहा कि 3,000 से अधिक किलोमीटर नर्मदा परिक्रमा पूरी तरह से एक आध्यात्मिक अभ्यास था। मगर, कई पर्यवेक्षकों ने कहा कि इसके राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट थे और इसने मध्य प्रदेश में 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की सफलता में योगदान दिया।

2021 में भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा 

भाजपा ने अगस्त में पांच दिवसीय जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की थी। इसमें 39 केंद्रीय मंत्रियों को 22 राज्यों को कवर करने के लिए भेजा गया था। मंत्रियों ने 212 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करने के लिए जन आशीर्वाद यात्राएं कीं और लोगों तक पहुंचने और उन्हें सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताने के लिए 19,567 किलोमीटर की यात्रा की।

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले साल कई पार्टी नेताओं के साथ कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा शुरू की। इस चुनौतीपूर्ण यात्रा की शुरुआत से पार्टी ने लोगों तक पहुंचने और अपने संगठन का कायाकल्प करने की कोशिश की।

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