मध्य प्रदेश: कॉलेज और स्कूल की लड़कियों ने शुरू किया लाड़ली बेटी टी स्टॉल

एमबीए कर चुकी नंदिनी कुशवाहा लाडली बेटी टी स्टॉल की सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में अपने आप को कमजोर नहीं मानती हैं। अब हम पढ़ाई करते हुए यह स्टॉल भी चलाएंगे और उन सभी लोगों को एक संदेश देंगे कि अपने पैरों पर खड़े होकर स्वयं का कोई भी रोजगार स्थापित किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में संचालित होने वाली सामाजिक संस्था “खुशियों के ओटले ” के द्वारा बेटियों का स्वरोजगार स्थापित करवाने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है। जिसके तहत उन्होंने संस्था से जुड़ी लड़कियों के लिए लाड़ली बेटी चाय के नाम से एक टी स्टॉल खोला है, जिसे बेटियां ही संचालित कर रही हैं।
सामाजिक संस्था खुशियों के ओटले के संचालक डॉ. सुरजीत सिंह ने बताया कि खुशियों का ओटला एक ऐसी सामाजिक संस्था है, जहां हम जरूरतमंद लोगों को रोटी, कपड़ा किताबें और अन्य जरूरत का सामान उपलब्ध कराने का काम करते हैं। महंगाई के दौर में शिक्षा के बाद भी लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पता है, इसे देखते हुए खुशियों के ओटले की टीम ने संस्था में आने वाली बेटियों को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद की है। बेटियों ने लाडली बेटी के नाम से अपना एक टी स्टॉल खोला है।
एमबीए कर चुकी नंदिनी कुशवाहा लाडली बेटी टी स्टॉल की सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में अपने आप को कमजोर नहीं मानती हैं। अब हम पढ़ाई करते हुए यह स्टॉल भी चलाएंगे और उन सभी लोगों को एक संदेश देंगे कि अपने पैरों पर खड़े होकर स्वयं का कोई भी रोजगार स्थापित किया जा सकता है। एक अन्य सदस्य काजल ने कहा कि काम कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता। मैं अपने परिवार को आर्थिक मदद करना चाहती हू, मैं अभी बीए फर्स्ट ईयर की छात्रा हूं और अपनी पढ़ाई का खर्चा स्टॉल इसी से निकालना चाहती हूं।
कक्षा दसवीं की छात्रा सलोनी वर्मा ने कहा की मैं अपने माता-पिता का बेटा बनकर मदद करना चाहती हूं। अपनी आगे की पढ़ाई का खर्चा स्वयं उठाना चाहती हूं। इसकी प्रेरणा मुझे खुशियों की ओटले से मिली, इसमें कनक विश्वकर्मा, पायल वाल्मीकि और नेहा अपना सहयोग दे रही हैं।