राजस्थान: इंसानों पर हमले के बाद एरोहेड के तीन शावक दूसरी जगह शिफ्ट होंगे

बीते दिनों रणथंभौर में इंसानों पर हमला कर उनकी जान लेने वाली एरोहैड बाघिन के तीनों शावकों को प्रदेश की अलग-अलग टाइगर सेंचुरी में शिफ्ट किया जाएगा।
रणथंभौर में बाघों द्वारा इंसानों पर हमलों के बाद गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एरोहैड बाघिन के शावकों को अलग-अलग बाघ अभ्यारण्यों में शिफ्ट करने की सिफारिश की है। इनमें मुकुंदरा हिल्स, रामगढ़ विषधारी और करौली-धौलपुर अभ्यारण्य शामिल हैं। हालांकि इससे पहले एरोहैड की मादा शावक कनकटी को बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट करने का निर्णय बदल दिया गया। इंसानी जान लेने के संदेह के चलते कनकटी को एनक्लोजर में रखा गया है।
गौरतलब है बीते दिनों 11 मई को रणथंभौर में फॉरेस्ट रेंजर पर बाघ ने हमला कर जान ले ली थी। इससे पहले 16 अप्रैल को भी यहीं एक 7 वर्षीय बालक पर बाघ ने हमला कर मार दिया था। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि दोनों घटनाओं के पीछे एरोहैड के 20 माह के शावकों का ही हाथ है।
रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य के पूर्व फील्ड डायरेक्टर मनोज प्रसाद का बाघिन के शावकों के रिलोकशन प्लान को लेकर कहना है कि बाघिन एरोहैड और उसके शावकों के व्यवहार पर नजदीकी से निगरानी रखना बेहद जरूरी है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रणथंभौर में जोन 2, 3 और 4 में पर्याप्त मात्रा में पानी और शिकार के चलते यहां बाघों की सघन आबादी हो गई है। इसके चलते बाघ खुद ही रामगढ़ विषधारी और धौलपुर की तरफ पलायन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा- रणथंभौर का नर बाघ तूफान (T80) मौजूदा समय में कैलादेवी अभ्यारण्य की तरफ चला गया है, जहां दो बाघिनें हैं। मनोज प्रसाद ने बताया कि बाघ का दो बार हमला करना कोई संयोग नहीं है- यह एक व्यवहार संबंधी समस्या को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि रणथंभौर पर बाघों का दबाव कम करने के लिए नए क्षेत्र विकसित करना जरूरी है क्योंकि बिना निगरानी के बाघों का पलायन इंसानों के साथ उनके संघर्ष को बढ़ा सकता है।