राजस्थान: लोहागढ़ फोर्ट मामले में सुभाष गर्ग के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
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विधानसभा में आज आरएलडी विधायक व पूर्व मंत्री सुभाष गर्ग के खिलाफ सरकार विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ले आई। स्पीकर ने इस प्रस्ताव को विशेषाधिकार हनन समिति को भेज दिया है। इसके विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
राजस्थान विधानसभा में आज एक बड़ा घटनाक्रम घटा। भरतपुर के लोहागढ़ फोर्ट में अतिक्रमण हटाने के मामले में प्रशासन की ओर से की जा रही कार्रवाई का मामला उठाने वाले आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग के खिलाफ सरकार विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ले आई। स्पीकर ने इस प्रस्ताव पर ध्वनि मत से वोटिंग करवा ली। प्रस्ताव पारित होने के बाद स्पीकर ने इसे विशेषाधिकार हनन समिति को भेज दिया। इधर कांग्रेस ने इसे विपक्ष की आवाज दबाने का षड्यंत्र बताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।
शून्यकाल में मुख्य सचेतक ने रखा प्रस्ताव
शून्यकाल में सरकार के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने सुभाष गर्ग के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखते हुए कहा- विधानसभा सदस्य सुभाष गर्ग द्वारा भरतपुर में लोहागढ़ फोर्ट के निवासियों को प्रशासन द्वारा नोटिस दिए जाने के संबंध में मामला उठाया गया है। इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जो कि निराधार एवं असत्य हैं। नगर निगम भरतपुर द्वारा केवल रेडक्रॉस सर्किल से गोवर्धन गेट तक अतिक्रमण हटाने के लिए 22 नोटिस जारी किए गए हैं, जो कि लोहागढ़ फोर्ट में रहने वाले लोगों के लिए नहीं हैं। सुभाष गर्ग द्वारा राज्य सरकार की छवि जान-बूझकर धूमिल करने की कोशिश की गई जो कि विशेषाधिकार हनन की श्रेणी में आता है।
उन्होंने कहा कि सदन में बैठे लोग विशेषाधिकार रखते हैं। कई बार हम इस अधिकार का दुरुपयोग करते हैं। इससे जनता में अफरा-तफरी भी फैल सकती है। कई बार इससे राजनीतिक मंतव्य भी साध लिए जाते हैं। इसलिए अध्यक्ष महोदय मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह बहुत गंभीर विषय है। इस पर कार्रवाई की जाए।
इसके बाद स्पीकर ने इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करवा दी। इसमें दो लोग सत्ता पक्ष से और दो विपक्ष से बोलने के लिए अनुमत किए गए। सत्ता पक्ष की ओर से कैलाश वर्मा और गुरुविंदर सिंह बरार को इस पर बोलने की मंजूरी दी गई। कैलाश वर्मा ने कहा कि सरकार मुख्य सचेतक ने जो बात सदन में रखी, वह गंभीर है।
विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। जूली बोले- ऐसे तो कोई आवाज ही नहीं उठा पाएंगे। ये क्या बात हो गई। आप हमारी आवाज दबाना चाहते हो। अध्यक्ष जी इसमें आपका संरक्षण चाहिए। वहां पर नोटिस दिए नहीं दिए, यह बात सदस्य ने उठा दी। इसमें विशेषाधिकार की कोई बात नहीं है। आपने भी कई बार अजमेर के लिए ऐसी समस्या उठाई है। यह तो लोकतंत्र को दबाने की बात हो जाएगी। आप विशेषाधिकार ले आएंगे और अगली बार हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा देंगे। उन्होंने कहा कि यह सत्ता पक्ष के लिए भी ठीक नहीं है। आप भी अपनी विधानसभा के लिए आवाज नहीं उठा पाएंगे।
भाजपा विधायक गुरुविंदर बरार ने इस पर कहा कि सुभाष गर्ग ने तीन बातें उठाईं, वे तीनों ही तथ्यों से परे हैं। उन्होंने कहा कि गर्ग ने सदन में कहा कि वर्तमान में सड़कों को चौड़ा करने के नाम पर लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। विभाग ने एक सिंगल नोटिस नहीं दिया है आप किस तरह से लोगों को गुमराह कर रहे है।
इसके बाद कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा कि सुभाष गर्ग का दल आपसे राजनीतिक समझौते से अलग हो रहा है तो आप बदले की भावना से काम कर रहे हैं। इस सदन में कई बार ऐसी बातें भी आती हैं जो तथ्यों से मेल नहीं खातीं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाओ। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इसकी अनुमति नहीं दें।
प्रस्ताव के आखिर में सुभाष गर्ग को अपनी बात रखने का अवसर दिया गया। गर्ग ने कहा- प्रशासन में नगर निगम प्रशासन ही शामिल नहीं होता, आर्कियोलॉजी भी होता है। उन्होंने कहा- 26 हजार वर्गमीटर जमीन को बेचने का समझौता हुआ। इसकी कीमत कम से कम 26 करोड़ की होती है उसे 3 करोड़ रुपए में बेचने का समझौता हुआ। लोगों को धमकाने के वीडियो मेरे पास हैं। इसमें बहुत बड़े-बड़े लोग शामिल हैं, जो आरोप लगा रहे हैं, उनकी कलई खुल जाएगी।
इसके बाद स्पीकर ने सुभाष गर्ग के खिलाफ विशेषाधिकार हनन समिति को भेजने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर दिया, जिसके विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया।