लुधियाना: पार्टी प्रधान राजा वड़िंग की उम्मीदवारी का घर में ही विरोध

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने वाले वरूण मेहता ने कहा कि कांग्रेस ने लुधियाना के कांग्रेस नेताओं व हजारों कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर बाहरी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाकर खुद ही लुधियाना सीट विपक्षी दलों की झोली में डाल दी है।

पंजाब में कांग्रेस हाईकमान ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार करके गिद्दड़बाहा के विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को लुधियाना से उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद लुधियाना कांग्रेस में बगावत हो गई।

एक तरफ पंजाब के कार्यकारी प्रधान एवं पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के समर्थक सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ वड़िंग को टिकट देने के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वरुण मेहता ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है।

वरुण मेहता ने बताया कि पिछले चार वर्षो में कांग्रेस हाईकमान द्वारा संगठन में सिर्फ एक ही सूची पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के समय जारी की गई थी, जिसमें मेहता सहित 38 अन्य प्रवक्ता नियुक्त किए गए, जिसमे कई सांसद पूर्व विधायक व अन्य पार्टी नेता थे।

मेहता ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव लड़ना हर नेता व कार्यकर्ता का हक है, लेकिन शहर के नेताओं व कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर पार्टी की सर्वोच्च लीडरशिप द्वारा तानाशाही का रवैया अपनाना बेहद निराशा जनक है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में भी यहीं नतीजे आए, क्योंकि लीडरशिप हमेशा मनमाना रवैया अपनाती है, जबकि कांग्रेस पार्टी सबसे पुराना राजनीतिक दल है, जिसमें करोड़ों कार्यकर्ता निस्वार्थ भाव से पार्टी का झंडा उठाकर सेवा करते रहे, लेकिन लीडरशिप द्वारा एसी कमरों की बैठकों तक ही संगठन को सीमित रखने से आज पार्टी सिर्फ हजारों की गिनती में पहुंच गई है।

मेहता ने कहा कि राहुल गांधी खुद पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद पार्टी को मजबूत करने की बजाय अभी तक ऐसे गलत फैसले लेकर संगठन को हाशिए पर डाल रहे हैं। मेहता ने कहा कि राजा वड़िंग प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्हें चुनाव लड़ने का पूरा हक है, लेकिन उन्हें बठिंडा से उम्मीदवार बनाया जाता तो ज्यादा बेहतर होता, लेकिन उन्हें लुधियाना से उम्मीदवार बनाकर साजिशन लुधियाना सीट को विपक्षी दलों की झोली में डाल दिया गया है। पार्टी के इस फैसले से लुधियाना के कार्यकर्ताओं में बेहद रोष व्याप्त है।

साफ है कि आने वाले दिनों में राजा वड़िंग के खिलाफ विरोध के सुर और प्रखर हो सकते हैं। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले वक्त में कुछ नेता एवं पदाधिकारी पार्टी से किनारा भी कर सकते हैं। पार्टी को संभालना, एकजुट करना और सभी को साथ लेकर चलना ही राजा वड़िंग के समझ बड़ी चुनौती होगी।

Related Articles

Back to top button