‘आम आदमी की जेब में आएंगे 2 लाख करोड़’, GST 2.0 के लिए किस आधार पर हुए फैसले?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी (GST) में किए गए बड़े बदलाव से आम लोगों की जेब में करीब 2 लाख करोड़ रुपए आएंगे। इसका सीधा असर रोजमर्रा की खरीदारी और खर्च पर पड़ेगा। सीतारमण ने नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स पर आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि अब 99% सामान जो पहले 12% टैक्स स्लैब में आते थे उन्हें 5% जीएसटी स्लैब में डाल दिया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को विशाखापट्टनम में कहा कि जीएसटी (GST) में किए गए बड़े बदलाव से आम लोगों की जेब में करीब 2 लाख करोड़ रुपए आएंगे। इसका सीधा असर रोजमर्रा की खरीदारी और खर्च पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस सुधार से मध्यम वर्ग और गरीब तबके को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
सीतारमण ने ‘नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स’ पर आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि अब 99% सामान जो पहले 12% टैक्स स्लैब में आते थे, उन्हें 5% जीएसटी स्लैब में डाल दिया गया है। यानी अब जरूरत की ज्यादातर चीजें सस्ती होंगी। ब्रेड, दूध और पनीर जैसी बुनियादी चीजों पर तो टैक्स बिल्कुल खत्म कर दिया गया है।
GST स्लैब में क्या बदला?
99% प्रोडक्ट्स जो पहले 12% टैक्स में आते थे, अब 5% स्लैब में होंगे।
90% आइटम्स जो पहले 28% पर टैक्स्ड थे, अब 18% में लाए गए हैं।
रोजमर्रा की ज्यादातर जरूरतें अब और सस्ती होंगी।
सीतारमण ने कहा कि कई बड़ी FMCG कंपनियां पहले से ही अपने प्रोडक्ट्स के दाम घटा रही हैं, ताकि उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिल सके।
आधार पर लिए गए फैसले
वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी दरों में कटौती से पहले सरकार ने पांच प्रमुख बातों को ध्यान में रखा:
गरीब और मिडिल क्लास को राहत देना।
मध्यम वर्ग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करना।
किसानों के हितों की रक्षा करना।
MSMEs (लघु और मध्यम उद्योग) को सहारा देना।
रोजगार और निर्यात से जुड़े क्षेत्रों को बढ़ावा देना।
GST कलेक्शन और टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ी
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी से होने वाला राजस्व 2018 में 7.19 लाख करोड़ रुपए था, जो 2025 में बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपए हो गया। वहीं, टैक्स देने वालों की संख्या भी 65 लाख से बढ़कर 1.51 करोड़ हो गई।
पिछली सरकार पर क्या बोला?
सीतारमण ने पिछली सरकार की टैक्स पॉलिसी को अव्यवस्थित बताया। उन्होंने कहा कि ‘यूपीए सरकार 10 साल तक रही, लेकिन वह जीएसटी लागू नहीं कर पाई। राज्यों को राजी करने में भी नाकाम रही।’ बता दें कि 22 सितंबर से लागू होने वाला जीएसटी 2.0 देश के टैक्स सिस्टम में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है।