IIFA 2025: राजमंदिर और शोले की गोल्डन जुबली पर स्पेशल स्क्रीनिंग

राजमंदिर सिनेमा और बॉलीवुड की कालजयी फिल्म ‘शोले’ की गोल्डन जुबली के अवसर पर आईफा अवॉर्ड्स 2025 के तहत स्पेशल स्क्रीनिंग आयोजित की गई। इस मौके पर राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बचपन की यादें साझा कीं।

जयपुर के प्रतिष्ठित राजमंदिर सिनेमा और बॉलीवुड की कालजयी फिल्म ‘शोले’ की गोल्डन जुबली के मौके पर आईफा अवॉर्ड्स 2025 के तहत स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और मशहूर फिल्म निर्माता सूरज बड़जात्या सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।

दीया कुमारी ने साझा की बचपन की यादें
राजमंदिर पहुंचीं डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने इस मौके पर भावुक होकर कहा, “राजमंदिर से मेरा बचपन से नाता रहा है। मैं यहां डिप्टी सीएम के तौर पर नहीं, बल्कि एक बेटी के रूप में आई हूं। स्कूल से बंक करके यहां फिल्में देखने आती थी। मेरी बहुत सी यादें इस सिनेमा हॉल से जुड़ी हैं।”

उन्होंने सूरज बड़जात्या की फिल्मों की तारीफ करते हुए कहा, “बचपन से ही मैंने सूरज बड़जात्या की हर फिल्म देखी है। जो फिल्में उन्होंने बनाई हैं, वे बॉलीवुड की धरोहर हैं।”

सूरज बड़जात्या बोले- ‘राजमंदिर से खास रिश्ता’
फिल्म निर्माता सूरज बड़जात्या ने इस आयोजन को अपने लिए इमोशनल पल बताया। उन्होंने कहा, “राजमंदिर में मेरी सात फिल्में चली हैं। जब मेरी पहली फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ यहां लगी, तो लोगों ने कहा- आपका कबूतर भी हिट है और हीरो भी। यह सिनेमा हॉल मेरे करियर का अहम हिस्सा रहा है।”

सीएम भजनलाल शर्मा भी होंगे शामिल
आईफा अवॉर्ड्स 2025 के भव्य आयोजन में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री दीया कुमारी भी शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में राजस्थान के 150 से अधिक लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे, जिससे राज्य की समृद्ध संस्कृति को ग्लोबल मंच मिलेगा।

राजमंदिर में 100 दिन से ज्यादा चलीं 40 फिल्में
राजमंदिर सिनेमा से जुड़े मैनेजमेंट ने बताया कि अब तक यहां 40 से ज्यादा फिल्में 100 दिनों से अधिक चली हैं, जो इसे भारत के सबसे प्रतिष्ठित सिनेमा हॉल में से एक बनाती हैं।

बॉलीवुड और राजस्थान की संस्कृति का संगम
आईफा अवॉर्ड्स 2025 में बॉलीवुड और राजस्थान की संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। इस ओपनिंग एक्ट में राजस्थान की कला, परंपरा और लोकसंगीत की झलक देखने को मिलेगी, जिससे प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

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