पंजाब: कहर की धुंध के बीच पंजाब में इस जगह हर दिन चमक रहा है सूरज…

सर्दियों की शुरुआत और पोह महीने की ठंडी लहरों के कारण उत्तर भारत धुंध व कोहरे की सफेद चादर में लिपटा हुआ है, जबकि उत्तर भारत का पंजाब भी ठंड के प्रकोप के कारण बर्फ जैसा बना हुआ है लेकिन राज्य में एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां सूरज हर दिन चमकता है, कोहरे का नामोनिशान नहीं है। इस क्षेत्र को ‘बीत’ का क्षेत्र कहा जाता है
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क्या है ‘बीत’ का इलाका
पंजाब के कंडी क्षेत्र जिला होशियारपुर की तहसील गढ़शंकर पूर्वी क्षेत्र के 37 गांवों का समूह है जो कि जो शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित है, यानी यह शिवालिक पहाड़ियों की गोद में स्थित है। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भी अनोखी है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र भी पड़ता है, जिसे अपर या पारला बीत भी कहा जाता है। बीत इलाके के गांवों के साथ हिमाचल प्रदेश, रूपनगर जिले, नवांशहर जिलों की सीमाएं लगती हैं। हिमाचल के विभाजन के दौरान इसे दो अतीत क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, अतीत का आधा क्षेत्र हिमाचल में पड़ता है, आधा अब पंजाब में, जो सर्दियों में हमेशा धूप की सफेद चादर की गर्मी देता है।

सरकारें उग्र हैं, प्रकृति दयालु
पहले इस क्षेत्र में सर्दी बहुत कम होती थी और गर्मी बहुत कम होती थी। इसके साथ-साथ इन गांवों में बरसात भी बहुत पड़ती है, जिसका कारण पहाड़ी क्षेत्र होना क्योंकि इस इलाके में लोग सरकारों के कहर से परेशान हैं। क्योंकि सरकारों ने बनता ध्यान इस क्षेत्र के विकास की तरफ नहीं दिया। जिसका कारण यह क्षेत्र जिला होशियारपुर का सबसे दक्षिणी क्षेत्र है प्रशासन यहां सरकारी सुविधाएं नहीं पहुंचा रहा है अभी तक इन गांवों के लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है, जिसके कारण सरकारी जलापूर्ति योजनाएं बहुत कम हैं, जो हैं वहां बिजली कटौती के कारण बिजली के लिए वैकल्पिक जनरेटर नहीं हैं, इस क्षेत्र में केवल एक ही सडक़ है। गढ़शंकर से बीनेवाल झुंगियां तक जाती है। उसकी हालत बहुत खराब है। सडक़ के बर्म और प्रीमिक्स में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। इस सडक़ ने सैकड़ों लोगों की कीमती जान ले ली है जिससे साफ है कि कुदरत इस क्षेत्र पर मेहरबान है लेकिन सरकारें क्रूर हैं।

बीत में मक्का, कद्दू, सरसों और बेर
इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन एवं कृषि है, जिसमें मक्के की खेती के लिए प्राकृतिक रूप से उपयुक्त वातावरण है। इस क्षेत्र की मक्की देसी और गुड़ इस क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय और महंगा है, जिसके कारण किसान फसलों के उत्पादन और रखरखाव में बहुत पैसा खर्च करते हैं। सरकारें फसलों के लिए कोई बीज या सब्सिडी नहीं देती हैं और न ही विपणन की कोई सुविधा है, जिसके कारण इस क्षेत्र के किसानों की समस्याएं बहुत जटिल हैं, जिस पर सरकारों ने ध्यान नहीं दिया है, लेकिन इस क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से कद्दू, पेठा, बेर आदि दिल्ली सीमा तक सप्लाई होते हैंष। यदि सरकार ध्यान दे तो यह क्षेत्र फसलों में जबरदस्त योगदान दे सकता है और रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है।

बेर बनाम सेवा
इस क्षेत्र में बेर प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, यदि इन छोटे-छोटे बेरों की गुणवत्ता का पता लगाया जाए तो कृषि वैज्ञानिक डॉक्टरों के अनुसार इस क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन 100 ग्राम बेर खाता है, तो उसे आधे सेब खाने के बराबर ही लाभ होता है। जिसका विकल्प पंजाब में और कहीं नहीं है।

करेला बनाम शुगर उपचार
इस क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से करेले पहाड़ी होते हैं, जिनकी बाजार में काफी मांग है। ये छोटे-छोटे करेले हैं, इन करेलों को खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। मानसून के दौरान दिल्ली और बॉम्बे जैसे शहरों से लोग यहां आकर करेलों को लेकर जाते हैं, जिसे लेने के लिए वैद लोग अक्सर यहां पहुंचते देखे जा सकते हैं। यदि सरकार करेले के उत्पादन पर ध्यान दे और जमींदारों को सुविधाएं दे तो करेले की प्राकृतिक फसल, जो हमारी प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा के काम आएगी, आय का एक बड़ा स्रोत भी बन सकती है।

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