जानिए कौन कर सकता है? नवरात्र में व्रत

नवरात्र आज से शुरू हो चुके हैं। यह त्योहार हिन्दु धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसका साल भर इंतज़ार किया जाता है। इस दौरान लोग व्रत भी रखते हैं। तो आइए जानें हेल्थ एक्सपर्ट से कि किन लोगों को उपवास रखने से बचना चाहिए।

 नवरात्र आज से शुरू हो चुके हैं, जो 4 अक्टूबर को नवमी के साथ ख़त्म होंगे। इस साल पूरे 9 दिनों के नवरात्र पड़ रहे हैं। नवरात्र में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता को पूजा जाता है। कई लोग इस दौरान व्रत भी रखते हैं।

व्रत के नियम हैं, लेकिन हर व्यक्ति का व्रत करने का तरीका अलग होता है। कुछ लोग बिना पानी के उपवास करते हैं, तो कुछ सिर्फ पानी पीकर उपवास करते हैं, कुछ व्रेत में सिर्फ फल खाते हैं। ऐसे में किस तरह का उपवास सबसे सही होता है?

बैरिएट्रिक फिजिशियन और मोटापा सलाहकार, सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटक्वीन ऐप की संस्थापक, डॉ. किरण रुकडीकर के अनुसार, हमें अपने स्वास्थ्य और फिटनेस का ध्यान रखते हुए व्रत करना चाहिए। बिना दूसरे से तुलना किए, आप अपने शरीर के हिसाब से ही उपवास करें, ताकि इस दौरान स्वस्थ रहें और बीमार न पड़ें।

नवरात्र में व्रत कौन कर सकता है?

कोई भी स्वस्थ व्यक्ति, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो, व्रत का पालन कर सकता है।

इन लोगों को नहीं रखना चाहिए व्रत

हालांकि, अगर आप किसी तरह की बीमारी से जूझ रहे हैं, तो बेहतर है कि आप उपवास करने से बचें। आइए जानें कि किन लोगों को उपवास नहीं करना चाहिए।

1. उपवास उन लोगों के लिए ख़तरनाक हो सकता है, जिन्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ जैसी बीमारियां हैं।

2. जिन महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन (जैसे कि थायरॉइड, प्रोलैक्टिन, या किसी अन्य हार्मोन का निम्न स्तर) होता है, उन्हें उपवास से बचना चाहिए।

3. अधिक वज़न वाले लोगों को भी उपवास से बचना चाहिए।

4. अगर कोई सर्जरी हुई है, तो उपवास से बचना चाहिए।

5. गर्भवती महिलाओं को उपवास नहीं करना चाहिए।

6. दूध पिलाने वाली माताओं को यह व्रत नहीं करना चाहिए।

डॉ. रुकडीकर के मुताबिक, उचित योजना के बिना उपवास करने से कई शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकते हैं। जैसे ब्लड शुगर स्तर के गिरने से चक्कर आना, सिरदर्द, कम पानी पीने से पेशाब में जलन, मूत्र मार्ग में संक्रमण, कब्ज़ आदि। संक्षेप में यह कहना होगा कि बिना किसी शारीरिक या मानसिक तनाव के खुद का पूरा ध्यान रखकर किया गया उपवास वास्तव में फलदायी होता है।

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