पंजाब: कांग्रेस की तीसरी सूची में अनुभव को तरजीह…

पंजाब में कांग्रेस ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। फिरोजपुर का पेंच अभी फंसा है। पार्टी ने इस बार सिख व दलित चेहरों के अलावा दो हिंदू चेहरे भी चुनाव मैदान में उतारे हैं। इनमें पटियाला से पार्टी धर्मवीर गांधी और आनंदपुर साहिब से विजय इंदर सिंगला शामिल हैं।

कांग्रेस ने अपनी तीसरी सूची के साथ ही 12 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इस सूची में पार्टी प्रधान, सांसदों, विधायकों, पूर्व सीएम, डिप्टी सीएम व मंत्री तक को चुनाव मैदान में उतारा गया है।

पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के चुनाव मैदान में आने से लुधियाना पंजाब की हॉटेस्ट सीट बन गई है। वड़िंग गिद्दड़बाहा से विधायक हैं और प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय 20 सितंबर, 2021 से 11 मार्च, 2022 तक परिवहन मंत्री रह चुके हैं। वह भारतीय युवा कांग्रेस से प्रधान के पद पर भी रहे।

लुधियाना से उनका मुकाबला कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए रवनीत सिंह बिट्टू, शिअद प्रत्याशी रणजीत सिंह, आप के अशोक पप्पी पराशर, शिअद अमृतसर से अमृतपाल सिंह व बसपा प्रत्याशी दविंदर सिंह रामगढि़या से होगा।

गुरदासपुर से उपमुख्यमंत्री को टिकट
इसी तरह गुरदासपुर से कांग्रेस ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को टिकट दी है। रंधावा डेरा बाबा नानक से विधायक हैं और साथ ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में राजस्थान के लिए महासचिव के पद पर भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनके पिता संतोख सिंह वरिष्ठ कांग्रेसी नेता थे, जो दो बार पंजाब कांग्रेस के प्रमुख रहे। गुरदासपुर में रंधावा का मुकाबला भाजपा के दिनेश बब्बू, आम आदमी पार्टी के अमनशेर कलसी, शिअद प्रत्याशी दलजीत सिंह चीमा व बसपा के राजकुमार से होगा।

पंथक सीट से हिंदू चेहरा
आनंदपुर साहिब से विजय इंदर सिंगला को अपना प्रत्याशी बनाया है। सिंगला पंजाब सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, उनके पास प्रशासनिक सुधार एवं लोक निर्माण विभाग था। वह 2009 से 2014 तक पंजाब के संगरूर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद थे। 2014 में वह संगरूर से भगवंत मान से 3,51,827 वोटों के अंतर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। उन्होंने पंजाब यूथ कांग्रेस से महासचिव के पद से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और बाद में वह उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे। आनंदपुर साहिब में सिंगला के सामने आप से मलविंदर सिंह कंग, शिअद से प्रेम सिंह चंदूमाजरा, शिअद अमृतसर के इंजीनियर कुशलपाल सिंह मान मैदान में हैं। इस सीट पर भाजपा व बसपा ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।

खडूर साहिब सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प
खडूर साहिब सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला हो गया है, क्योंकि यहां पर सभी सिख चेहरे चुनाव मैदान में उतर गए हैं। यहां पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक कुलवीर सिंह जीरा को अपना प्रत्याशी बनाया है, जो वर्ष 2017 चुनाव में जीरा विधानसभा क्षेत्र से ही विधायक चुने गए थे। जीरा का मुकाबला शिअद के विरसा सिंह वल्टोहा, भाजपा प्रत्याशी मनजीत मन्ना मियाविंड व आप के लालजीत भुल्लर से होगा। बसपा ने फिलहाल इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। वहीं, शिअद अमृतसर ने यहां पर अपना उम्मीदवार न उतार कर वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह को समर्थन देने का फैसला लिया है।

लुधियाना में गुटबंदी को रोकना भी जरूरी
कांग्रेस ने अपना तुरुप का पत्ता चलते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को लुधियाना संसदीय सीट पर चुनाव मैदान में उतार दिया है। राजा वड़िंग के लिए यहां पर चल रही गुटबंदी को रोकना बड़ी चुनौती है। इसके साथ-साथ पार्टी को छोड़कर अन्य पार्टियों में टूटकर जा रहे वर्करों को रोकने के लिए भी राजा वड़िंग को काम करने की जरूरत पड़ेगी।

अगर लुधियाना में गुटबंदी खत्म करने में राजा वड़िंग सफल हो जाते हैं, तो उनकी नैया पार होने में कहीं न कहीं कामयाबी मिल सकती है, लेकिन अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी और पुराने साथी कांग्रेस छोड़ भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे रवनीत सिंह बिट्टू की प्लानिंग को समझकर राजा वड़िंग को लोगों से राबता कायम करने की जरूरत पड़ेगी। पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु मुख्य दावेदारों में से एक थे, लेकिन गुटबंदी और आशु के विरोध के चलते उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया। कांग्रेस हाईकमान को लुधियाना से गुटबंदी पूरी तरह से देखने को मिली। पूर्व मंत्री पांडे और सुरिंदर डाबर एक गुट में हो गए, तो जिला प्रधान अलग ही राह पर चलते नजर आए। आशु अपने साथियों के साथ चुनाव को लेकर अलग ही बैठकें करते रहे। इसके बाद हाईकमान के पास साफ तौर पर संदेश चला गया कि गुटबंदी कांग्रेस में चरम सीमा पर है। कांग्रेस हाईकमान की तरफ से उसी गुटबंदी पर लगाम लगाने के लिए पंजाब कांग्रेस प्रधान को ही उतारना पड़ा।

सोशल मीडिया पर आशु समर्थकों ने शुरू किया विरोध
पंजाब कांग्रेस की तरफ से जैसे ही अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के नाम की चर्चा चलने लगी, पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के समर्थकों ने सीधे तौर पर विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस में रहकर पंजाब कांग्रेस प्रधान का विरोध कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। आशु समर्थकों को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी भारत भूषण आशु को बिट्टू के खिलाफ चुनाव लड़ाएगी, लेकिन पार्टी ने पंजाब प्रमुख को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद आशु समर्थकों ने सीधे तौर पर लिख दिया कि बाहरी उम्मीदवार को पार्टी प्रत्याशी बनाती है, तो उनकी पार्टी से जय श्रीराम है।

Related Articles

Back to top button