भाजपा ने 16 जिलों में जिलाध्यक्षों की घोषणा की, 5 फरवरी को प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव
भाजपा ने कल देर शाम 11 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया। इसे मिलाकर प्रदेश में 44 में से 16 जिलाध्यक्ष तय हो चुके हैं। अब 5 फरवरी तक प्रदेशाध्यक्ष का निर्वाचन भी पूरा कर लिया जाएगा।
प्रदेश भाजपा में 52,163 बूथ, 1135 मंडल और 44 जिलाध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया चल रही है। इसी कड़ी में कल देर शाम 11 नए जिलाध्यक्षों का ऐलान कर दिया गया। इन्हें मिलाकर अब तक 16 जिलों में नए जिलाध्यक्ष घोषित हो चुके हैं। आज चुरू, झुंझुनू, सीकर सहित कुछ अन्य जिलों के नामों का ऐलान हो सकता है।
हालांकि बीजेपी को 30 दिसंबर 24 तक जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा करनी थी। इसके बाद 15 जनवरी तक प्रदेशाध्यक्ष का निर्वाचन होना था लेकिन पार्टी के नेता मंडल की राजनीति में ही उलझकर रह गए। तय समय पर तो बीजेपी पूरे मंडल अध्यक्षों का भी निर्वाचन भी नहीं कर पाई।
अब बीजेपी नेताओं का कहना है कि 5 फरवरी से पहले जिलाध्यक्षों सहित प्रदेश अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी।
इन जिलों में ऐलान बाकी
प्रदेश बीजेपी ने 44 संगठनात्मक जिले बना रखे हैं। इनमें से 16 का ऐलान हो चुका है। वहीं 31 जनवरी तक बाकी 28 जिलों में भी जिलाध्यक्षों का निर्वाचन करवाना होगा। सोमवार को कोटा शहर, कोटा देहात, गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर देहात, नागौर शहर, नागौर देहात, बाड़मेर, बालोतरा, जोधपुर शहर और जोधपुर जिले में जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा हुई है। इससे पहले 25 जनवरी को भी बीजेपी ने पांच जिलों अजमेर शहर, अजमेर देहात, भरतपुर, अलवर दक्षिण, अलवर उत्तर में जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान किया था।
मंडल की राजनीति में क्यूं उलझी बीजेपी
राजस्थान बीजेपी में कुल 1,058 मंडलों में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी लेकिन कई जिलों में मंडल अध्यक्ष को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई, जिससे नामों का ऐलान होते ही विरोध शुरू हो गया। प्रक्रिया अनुसार संगठन चुनावों में जिला निर्वाचन अधिकारी के लिए हर पद पर तीन-तीन नामों का पैनल बनाना जरूरी किया गया था।
इस पैनल में स्थानीय विधायक, पूर्व विधायक, जिला पदाधिकारी, पूर्व पदाधिकारी, जिले के प्रमुख नेताओं की सहमति से ही तय करना था। पैनल में ज्यादा नेताओं के होने से निर्वाचन के लिए 3 की जगह 20 से ज्यादा नाम आने लगे। इसके चलते नामों के चयन में भी काफी समय लगा। कुछ सूचियों पर विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि अनुशासन समिति को हस्तक्षेप करके पहले हुए चयन को गलत मानना पड़ा और बीजेपी संगठन की प्रदेश अपील समिति को 16 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगानी पड़ गई। इसके अलावा पांच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति को निरस्त करने की घोषणा भी करनी पड़ी।