चिकित्सा संस्थानों के 19 चिकित्सा विज्ञानियों का नाम स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की लिस्ट में शामिल

लखनऊ के डॉक्टरों ने वैश्विक स्तर पर एक बार फिर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। प्रदेश के दो सबसे बड़े चिकित्सा संस्थानों के 19 चिकित्सा विज्ञानियों का नाम स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की लिस्ट में शामिल किया गया है। SGPGI के निदेशक प्रो.आरके धीमन के अलावा संस्थान से जुड़े रहे 12 अन्य सीनियर फैकल्टी शामिल हैं। ब्रेन टीबी पर 5 इंटरनेशनल जर्नल पब्लिश करने वाले KGMU के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ आरके गर्ग इस लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर हैं। प्रदेश के इन नायाब डॉक्टर्स के शोध को न केवल दुनिया भर में पहचान मिली है बल्कि विश्व पटल पर तमाम रिसर्च व अनुसंधान में लगातार उन्हें कोट किया गया है।

SGPGI के 13 व KGMU के 6 सीनियर डॉक्टर्स ने बनाई जगह

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. जॉन ईओनिडिस के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने दुनिया भरके शोधकर्ताओं के नामों का चयन किया। इसमें दो अलग-अलग लिस्ट जारी की गई। पहली प्रतिष्ठित लिस्ट करियर लांग डाटा पर आधारित है। दूसरी लिस्ट वर्ष 2020 में किए गए काम के प्रदर्शन के आधार पर जारी की गई। देश दुनिया के करीब 2 लाख से ज्यादा रिसर्चर के बीच भारत के करीब 3 हजार शोधार्थियों ने इस लिस्ट जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है।अहम बात यह है कि इनमें लखनऊ से जुड़े कुल 19 मेडिकल शोधार्थी भी शामिल रहे।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रैंकिंग हासिल करने वाले SGPGI के शोधार्थी –

इस ग्लोबल रैंकिंग में जगह बनाने वाले चिकित्सकों का मेडिकल के क्षेत्र में एक से बढ़कर अद्वितीय योगदान रहा है। इनमें संजय गांधी पीजीआई के निदेशक और हेपटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राधा कृष्ण धीमन, रेडियोडायगनोसिस डिपार्टमेंट के रिटायर्ड फैकल्टी प्रो डॉ राकेश कुमार गुप्ता, न्यूरोलॉजी के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ यूके मिश्रा, मेडिकल जेनेटिक्स की प्रोफेसर डॉ सरिता अग्रवाल, गैस्ट्रो सर्जरी के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ विनय कपूर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रोफेसर और वर्तमान में जिपमेर पांडिचेरी के डायरेक्टर डॉ राकेश अग्रवाल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ उदय चंद्र घोषाल, न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर जयंती कालिता, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ उज्जल पोद्दार, एंडोक्राइन सर्जरी के प्रोफेसर और वर्तमान मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ गौरव अग्रवाल, नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ नारायण प्रसाद, मॉलिक्यूलर मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ आलोक कुमार और एंडोक्रिनोलॉजी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ रोहित सिन्हा भी शामिल रहे।

ग्लोबल रैंकिंग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले KGMU के डॉक्टर्स –


इस लिस्ट में जगह बनाने वाले चिकित्सा विश्वविद्यालय के शोधार्थियों में KGMU के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ.आरके गर्ग के अलावा पीडियाट्रिक विभाग की प्रभारी डॉ. शैली अवस्थी, माइक्रो बायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. अमिता जैन, मानसिक रोग विभाग के डॉ. सुजीत कार और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. यूसी चतुर्वेदी का नाम भी शामिल है।

एक साल के भीतर ब्रेन टीबी पर 5 जर्नल कर चुके है प्रकाशित

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में सबसे आगे प्रो आरके गर्ग को दोनों ही लिस्टिंग यानी कैरियर लांग व 2020 में किए गए कामों के आधार पर जगह हासिल का पाएं है। प्रो. गर्ग ने बताया कि बीते एक वर्ष इस विषय पर 5 इंटरनेशनल जर्नल पब्लिश हो चुके है। इसके अलावा अब तक कुल 60 से ज्यादा इंटरनल जर्नल भी पब्लिश हुए है। प्रो.गर्ग इस कामयाबी को बेहद सरलता में मरीजों के प्रति डेडिकेट करने की बात कहते है।

पीडियाट्रिक विभाग की प्रभारी डॉ शैली अवस्थी ने भी बनाई जगह


इस लिस्ट के KGMU के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ. शैली अवस्थी ने भी विशेष मुकाम पाया है।डॉ.अवस्थी ने निमोनिया से पीड़ित बच्चों के उपचार में सराहनीय काम किया है। रिसर्च के उनके द्वारा सुझाएं कार्यक्रमों को केंद्र सरकार ने अपनाकर पूरे देश मे इसे लागू करने के लिए मिशन योजना का संचालन किया। उसका असर रहा कि देश मे पहले जहां हर 12 मिनट में न्यूमोनिया से एक बच्चे की मौत हो रही थी अब इसमें करीब 2 गुनी गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके अलावा नवजात शिशुओं के उपचार में भी उन्होंने WHO के सहयोग से प्रदेश में कार्यक्रम का सफल संचालन किया और घर मे समुचित इलाज की सुविधा मुहैया कराने में कामयाबी हासिल की। इसके अलावा बच्चों में कीड़े की समस्या से निजात दिलाने के लिए मास लेवल पर दवा वितरण के अलावा नेशनल डेवार्मिंग डे के आयोजन में भी महत्ती भूमिका निभाई है। डॉ. शैली ने बताया कि अब तक उनके कुल 300 से ज्यादा जर्नल पब्लिश हो चुके है जिनमें से इसे साल करीब 12 जर्नल पब्लिश हुए है।

2500 से ज्यादा घुटना व कुल्हा प्रत्यारोपण कर चुके डॉ संतोष कुमार भी ने लिस्ट में बनाई जगह


KGMU के ऑर्थो डिपार्टमेंट के प्रो. संतोष कुमार ने बताया कि अभी तक उनके द्वारा ढाई हजार से ज्यादा जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की जा चुकी है। कुल 50 से ज्यादा शोध पेपर पब्लिश भी हो चुके है। बीते एक साल में 5 पेपर पब्लिश हुए जिनमें 1 पेपर को 60 से ज्यादा ‘साईटेशन्स’ भी मिल चुके है। आयुष्मान योजना के तहत देश में पहला घुटना प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टर भी प्रो.संतोष कुमार ही थे। उन्होंने कुशीनगर के पडरौना की शोभा देवी KGMU में सफल घुटना प्रत्यारोपण 16 सितंबर 2019 को किया था।

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई का घुटना प्रत्यारोपण करने वाले अमेरिकी सर्जन डॉ. राणावत के साथ प्रो. संतोष कुमार
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई का घुटना प्रत्यारोपण करने वाले अमेरिकी सर्जन डॉ. राणावत के साथ प्रो. संतोष कुमार
माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ अमिता जैन ने भी बनाई जगह


अमेरिकी विश्वविद्यालय की इस लिस्ट में KGMU के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की मुखिया डॉ अमिता जैन का भी नाम है। बीते वर्ष की बेहतरीन उपलब्धियों के लिए उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है। डॉ.अमिता जैन के करीब 300 से ज्यादा इंटरनेशनल पेपर पब्लिश हो चुके है। जिनमे से करीब 25 पेपर बीते एक वर्ष के दौरान हुए है। भास्कर से बातचीत में डॉ जैन ने बताया कि टीबी, ड्रग रेसिस्टेंट टीबी और वायरल डिसीज के विषय पर उनके ज्यादातर शोध रहे है।

उन्होंने एक्यूट एन्सेफलाइटिस, डेंगू व इन्फ्लुएंजा पर कई शोध किए है। इसके अलावा ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से जुड़े शोध के दौरान उन्होंने कई चौकाने वाले खुलासे भी किए थे। KGMU आने वाले गंभीर टीबी के रोगियों में हर 10 में से एक मामले ड्रग रेसिस्टेंट होने के कारण और गंभीर बन जाते है इसीलिए इसके प्रति चिकित्सकों व मरीजों के बेहद सतर्क होने की जरुरत को उनके शोध का निष्कर्ष माना जा सकता है।

Related Articles

Back to top button